गीता के अनुसार भोजन के तीन प्रकार
सात्विक भोजन- आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख और प्रीति को बढ़ाने वाले रसयुक्त चिकने और स्थिर रहने वाले तथा सवभाव से ही मन को प्रिय लगाने वाले ऐसे आहार अर्थात भोजन करने के पदार्थ सात्त्विक पुरुष को प्रिय होते हैं|
राजसी भोजन- कड़वे, खट्टे, लवण युक्त, बहुत गर्म तीखे, रूखे दाहकारक और दुख चिंता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात भोजन करने के पदार्थ राजसी पुरुष को पसंद होते हैं।
तामसी भोजन- जो भोजन अधपका रसरहित दुर्गंध युक्त बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र भी है वह भोजन तामस पुरुषों को पसंद होता है